केंद्र सरकार आमतौर पर हर 10 वर्षों में एक नया वेतन आयोग गठित करती है। इस बार देशभर के करीब एक करोड़ से अधिक कर्मचारी और पेंशनभोगी 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए इसके लागू होने में देरी की संभावना जताई जा रही है।
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कैबिनेट से मंजूरी, फिर भी गठन में देरी
वर्ष 2025 की शुरुआत में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी और कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिल चुकी है। आमतौर पर किसी वेतन आयोग को मंजूरी मिलने के दो से तीन महीने के भीतर इसका गठन हो जाता है, लेकिन इस बार छह महीने बीत जाने के बाद भी गठन नहीं हो पाया है।
क्या है देरी की वजह?
ET की रिपोर्ट के अनुसार, 8वें वेतन आयोग के गठन और लागू होने में देरी की संभावना है। अब तक 7 वेतन आयोग बन चुके हैं, जिनमें 7वें वेतन आयोग को 2014 में मंजूरी मिली थी और इसे 1 जनवरी 2016 से लागू कर दिया गया था। लेकिन इस बार टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) भी अभी तय नहीं हुआ है, जिससे वेतन, पेंशन और भत्तों में संशोधन किया जाता है।
कब तक लागू हो सकता है 8वां वेतन आयोग?
मौजूदा संकेतों के अनुसार, यह आयोग वर्ष 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक लागू हो सकता है। कर्मचारियों को इस बार थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़ सकता है लेकिन उम्मीद है कि एक बार टर्म्स ऑफ रेफरेंस तय हो जाने के बाद प्रक्रिया तेज हो जाएगी।
कैसे तय होता है कर्मचारियों का वेतन?
पिछले तीन दशकों में वेतन आयोगों ने पे स्ट्रक्चर को आसान बनाने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। पहले जहां 4000 से ज्यादा पे स्केल हुआ करते थे, वहीं 6वें वेतन आयोग ने पे-बैंड और ग्रेड-पे सिस्टम लागू किया। इसके बाद 7वें वेतन आयोग ने 24 स्तरों का एक पे मैट्रिक्स तैयार किया जिसमें हर स्टेज एक अलग वेतन स्तर को दर्शाता है।
क्या होगा फिटमेंट फैक्टर?
7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, जिससे न्यूनतम वेतन ₹18,000 हो गया था। अब 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 3.0 तक रहने की संभावना है। इससे कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में फिर से बड़ा इज़ाफा हो सकता है।